भौतिक क्षेत्र का ध्येय एक ऐसा पदार्थ है, जिसका काल की दृष्टि से आदि और अंत होता है और उसका उद्देश्य किसी अन्य वस्तु को प्राप्त करना होता है। आध्यात्मिक साधना का ध्येय ऐसी वस्तु की प्राप्ति होता है, जो सदा रही है, सदा रहेगी और इस समय भी हमारे ही अंदर मौजूद है। जीवन […]
Jesus always used to be surrounded by criminals, bandits and unhappy people. He sat, sleep and even eat with them. Once He went to a very undeveloped and wretched town of criminals. After talking to them the whole day he sat down with the locals to have his supper. An opposer of his mission happened […]
Once a Saint had two disciples in an Ashram on the banks of the sacred river Ganga. Both were very religious and devoted. Every morning after having a holy dip in the Ganga they did their regular ritual of ‘Upasana’. Subsequently they helped their spiritual Guru in serving and treating the poor, needy and the […]
सुख-दु:ख का आधार-ज्ञान
संसार में जितना भी दु:ख, क्लेश, कलह, रोग, शोक, भय, दैन्य, दारिद्र्ïय फैला हुआ है, उसका मूल कारण अज्ञान है। मनुष्य के हाड़-मांस के शरीर में अन्य वस्तुएँ पशुओं से भी घटिया हैं। उसकी एक ही विशेषता है और उसी के आधार पर वह विश्व का मुकुटमणि बना हुआ है, वह है-ज्ञान। इसी ज्ञान-शक्ति के […]
Failure is not at all bad and harmful. We must not despair if we fail in spite of working honestly in our endeavors. Every failure takes us one step forward towards success. It acts as a catalyst for achieving our objectives. Failures highlight our weak points. They show us the areas where we need to […]
जीवन की उपयोगिता केवल नैतिक मूल्यांकन द्वारा ही निर्धारित की जा सकती है। एक बार निश्चय कर लीजिए कि जब आपकी अंतरात्मा किसी कार्य को उचित बतलाए, तो अनिश्चित और अकर्मण्य नहीं रह जाएँगे, बल्कि उस पर अग्रसर होंगे। समझ लीजिए कि एक मानव को दैवी-वरदान की जितनी आशा हो सकती है, उसकी कुंजी उसे […]
BENEFITS FROM THE MERITS OF OTHERS
When we judge a person, we normally try to search only for his faults and demerits. But if instead, we look for his merits, we shall find him full of good qualities. Every individual contains both good qualities and bad. It is up to us whether we want to reap benefits of their unique virtues […]
प्रत्येक मनुष्य का जीवन सर्वथा उसके अधीन है। जो कुछ दु:ख या सुख हमें प्राप्त होते हैं, उनमें कार्य-कारण का एक विशेष नियम रहता है। दु:खों का कारण वे स्वयं होते हैं। अगर मनुष्य जान-बूझ कर वहम्ï, अज्ञान, भूल, अंधकार और दु:ख की कोठरी में समस्त जीवन बैठा रहे और दु:ख की शिकायत करता रहे, […]
सुझाव देने से पूर्व सोचो
मनुष्यों में एक प्रवृत्ति यह पाई जाती है कि वे दूसरे के कामों में बहुत जल्दी हस्तक्षेप करने लगते हैं। यदि विचारपूर्वक देखा जाए, तो कोई अन्य मनुष्य जो कुछ कहता, करता या विश्वास करता है, उससे तुम्हारा कोई सरोकार नहीं। तुम्हें उसकी बात पूर्णतया उसी की इच्छा पर छोड़ देनी चाहिए। तुम स्वयं अपने […]
समय का औषध रूप
समय एक प्रवाह है। समय एक औषध है। बड़े-बड़े घाव समय की गति से भर जाते हैं। समय निरंतर बदलता जाता है। सदा एक-सा नहीं रहता। गति ही जीवन का लक्षण है। हम न किसी विषम स्थिति से चिंतित हों, न तनिक-सा लाभ होने से फूलकर प्रमाद में लीन हो जाएँ। अच्छी या बुरी […]