मरण रखिए, रुकावटें और कठिनाइयाँ आपकी हितचिंतक हैं। वे आपकी शक्तियों का ठीक-ठीक उपयोग सिखाने के लिए हैं। वे मार्ग के कंटक हटाने के लिए हैं। वे आपके जीवन को आनंदमय बनाने के लिए हैं। जिनके रास्ते में रुकावटें नहीं पड़ीं, वे जीवन का आनंद ही नहीं जानते। उनको जिन्दगी का स्वाद ही नहीं आया। […]
Month: June 2012
भारतीय संस्कृति का सूर्योदय अवश्य होगा। इस समय जमाना पलट रहा है। अब तक पैसा भी मुट्ठी भर आदमियों के पास था। अब वह गरीबों के पास आने वाला है। पहले हमारे देश का बड़ा सम्मान रहा है, हम धार्मिक दृष्टि से सबसे बड़े रहे हैं। हमारा देश स्वर्ग कहलाता था और यहाँ के निवासी […]
The Bitter Prince
Once, there was an atrocious young prince. The king tried his best to reform his son but all in vain. At last, Mahatma Buddha himself went to him to show him the righteous path. Buddha took him near a Neem sapling (margosa plant) and told,“Prince! Do eat a leaf of this plant and tell how […]
अहंकार का नाश करने के लिए परमात्मा सदा प्रयत्न करते रहते हैं, क्योंकि यही दुर्गुण भव-बंधनों में जीव को बाँधे रहने में सबसे कड़ी लौह शृंखला का काम करता है। अहंकार को ही असुरता का प्रतीक माना गया है। अहंकारी की महत्त्वाकांक्षाएँ संसार के लिए एक विपत्ति ही सिद्ध होती हैं। सिकंदर, तैमूरलंग, नादिरशाह, औरंगजेब, […]
Mahatma Anandswami And The Rich Man
Once, a wealthy man came to Mahatma Anandswami. He was the owner of several factories. All his sons were pursuing the business well. His wife had passed away previously. In spite of prosperity all around, his heart was not at peace. His hunger and sleep had gone. He humbly intimated his distress and ailment to […]
ऐसा सबसे उपयुक्त साथी जो निरंतर मित्र, सखा, सेवक, गुरु, सहायक की तरह हर घड़ी प्रस्तुत रहे और बदले में कुछ भी प्रत्युपकार न माँगे, केवल एक ईश्वर ही हो सकता है। ईश्वर को जीवन का सहचर बना लेने से मंजिल इतनी मंगलमय हो जाती है कि यह धरती ही ईश्वर के लोक, स्वर्ग जैसी […]
यहाँ हर श्रेष्ठ व्यक्ति को कठिनाइयों की, असुविधाओं की अग्रिपरीक्षाओं में होकर गुजरना पड़ा है। जो विवेक को अपनाए रहता है, प्रलोभनों में स्खलित नहीं होता और सन्मार्ग से किसी भी कारण कदम पीछे नहीं हटाता, वस्तुत: वही इस भवसागर को पार करता है, वही माया के जादू से अछूता बचा रहता है और उसी का […]
तुम परमात्मा की आधी शक्ति के मध्य में खड़े हुए हो, तुमसे ऊँचे देव, सिद्ध और अवतार हैं तथा नीचे पशु-पक्षी, कीट-पतंग आदि हैं। ऊपर वाले केवल मात्र सुख ही भोग रहे हैं और नीचे वाले दु:ख ही भोग रहे हैं। तुम मनुष्य ही ऐसे हो, जो सुख और दु:ख दोनों एक साथ भोगते हो। […]
Yog in Daily life
One should not do anything with a mind that is demotivated and disengaged. With that mindset, one can never progress. Yog or communion with divinity arises when the heart, the brain and the mind work in unison. Some people are physically present at one place but their mind is somewhere else. For example, our brain […]
इंद्रियों के दास होकर नहीं, स्वामी होकर रहना चाहिए। संयम के बिना सुख एवं प्रसन्नता प्राप्त नहीं हो सकती। नित्य नए-नए भोगों के पीछे दौडऩे का परिणाम दु:ख और अशान्ति है। श्रीमद्भगवद् गीता पढऩे, सुनने या समझने की सार्थकता इसी में है कि इंद्रियों के वेग तथा प्रवाह में बह जाना, मानव-धर्म नहीं है। किसी […]