भारतीय संस्कृति का प्रसार

भारतीय संस्कृति का सूर्योदय अवश्य होगा। इस समय जमाना पलट रहा है। अब तक पैसा भी मुट्ठी भर आदमियों के पास था। अब वह गरीबों के पास आने वाला है। पहले हमारे देश का बड़ा सम्मान रहा है, हम धार्मिक दृष्टि से सबसे बड़े रहे हैं। हमारा देश स्वर्ग कहलाता था और यहाँ के निवासी देवता समझे जाते थे। इस देश के घर-घर में त्याग और बलिदान की भावना वाले मनुष्य मिलते थे। बीच में इन गुणों के घट जाने से देश की दशा बिगड़ गई। अब फिर वही पुराना समय आने वाला है। यहाँ ज्ञान, शक्ति और विद्या का सूर्योदय होने वाला है। आजकल चारों तरफ अधिकारों की माँग और उनके लिए संघर्ष हो रहा है,  पर उससे भी पहले हमको अपने कत्र्तव्यों पर ध्यान देना आवश्यक है। पश्चिम वाले कहते हैं कि अपने जीवन-मान को बढ़ाओं, इससे उन्नति होगी, पर हम अपने आध्यात्मिक मान को बढ़ाना ज्यादा आवश्यक समझते हैं। हम जिस भारतीय संस्कृति, भारतीय विचारधारा का प्रचार करना चाहते हैं, उससे आपके समस्त कष्टो का निवारण हो सकता है। राजनैतिक शक्ति द्वारा आपके अधिकारों की रक्षा हो सकती है, पर जिस स्थान से हमारे सुख-दु:ख की उत्पत्ति होती है, उसका नियंत्रण राजनैतिक शक्ति नहीं कर सकती। यह कार्य आध्यात्मिक उन्नति से ही संभव हो सकता है। मनुष्य को मनुष्य बनाने की वास्तविक शक्ति भारतीय संस्कृति में ही है। यह संस्कृति हमें सिखाती है कि मनुष्य, मनुष्य से  प्रेम करने को पैदा हुआ है, लडऩे-मरने को नहीं।