मनुष्यों में एक प्रवृत्ति यह पाई जाती है कि वे दूसरे के कामों में बहुत जल्दी हस्तक्षेप करने लगते हैं। यदि विचारपूर्वक देखा जाए, तो कोई अन्य मनुष्य जो कुछ कहता, करता या विश्वास करता है, उससे तुम्हारा कोई सरोकार नहीं। तुम्हें उसकी बात पूर्णतया उसी की इच्छा पर छोड़ देनी चाहिए। तुम स्वयं अपने […]
Month: August 2011
समय का औषध रूप
समय एक प्रवाह है। समय एक औषध है। बड़े-बड़े घाव समय की गति से भर जाते हैं। समय निरंतर बदलता जाता है। सदा एक-सा नहीं रहता। गति ही जीवन का लक्षण है। हम न किसी विषम स्थिति से चिंतित हों, न तनिक-सा लाभ होने से फूलकर प्रमाद में लीन हो जाएँ। अच्छी या बुरी […]
सच्ची आध्यात्मिकता का मार्ग
वास्तव में मानव जीवन एक ऐसे घने अंधेरे और अपार जंगल में यात्रा कर रहा है, जिसके संबंध में उसे कुछ भी ज्ञात नहीं है। हम कौन हैं? कहाँ से आए हैं? कहाँ जा रहे हैं? क्यों जा रहे हैं? किधर जाना है? कौन सा मार्ग उचित है? इन सब बातों का ठीक-ठीक पता विश्व-यात्रियों […]
Family-An institution of Learning
It was a tall mountain, full of boulders, large & small and the path was winding. The saint was walking alone with the help of a stick. A pair of rough supples was neither aiding nor comforting in his journey. He had quite a load on his shoulder to carry to his hermitage. The walk […]
मनुष्य का व्यक्तित्व और बाह्यï-जगत्ï एक दूसरे के सापेक्ष हैं। जैसा व्यक्तित्व होता है, उसी प्रकार का जगत् ï एवं वातावरण भी बन जाता है। हमारा व्यक्तित्व हमारे विचारों का ही प्रतिबिंब है। कर्मठ व्यक्ति अपने चारों ओर आशा, उत्साह एवं सौहाद्र् का वातावरण बना लेते हैं और परस्पर आशा एवं प्रगति का संदेश देते […]
Minimize your burden
This story dates back to the time when Lal Bahadur Shastri was the Home Minister of Uttar Pradesh in India. He diligently performed his duties in his office and was the favourite of all. One day some workers from the Department Of Social Reformation came to his house to install a room air conditioner. Everyone […]