मनुष्य का व्यक्तित्व और बाह्यï-जगत्ï एक दूसरे के सापेक्ष हैं। जैसा व्यक्तित्व होता है, उसी प्रकार का जगत् ï एवं वातावरण भी बन जाता है। हमारा व्यक्तित्व हमारे विचारों का ही प्रतिबिंब है। कर्मठ व्यक्ति अपने चारों ओर आशा, उत्साह एवं सौहाद्र् का वातावरण बना लेते हैं और परस्पर आशा एवं प्रगति का संदेश देते हैं। वे अपने साथ-साथ दूसरों को भी नवीन ज्योति देते हैं और सच्चे अर्थों में जीवन के पारखी होते हैं। मनुष्य के विचार उसके जीवन-निर्माण में बहुत महत्त्व रखते हैं, किन्तु निराशावादी स्वयं तो नैराश्य में डूबे रहते हैं, दूसरों को भी वे निरुत्साह एवं गिरी हुई बातें कहकर भाग्य को दोष देते हैं।
आप आशावादी व्यक्ति से मिलिए, उसकी मुस्कराहट में जीवन होता है, उसकी प्रसन्नता की किरणें वातावरण को भी सजीव एवं मुखरित कर देती हैं, जीवन का हर क्षण उनके लिए नया स्पंदन एवं संदेश लाता है। अखंड-प्रसन्नता प्रभु का प्रसाद है और इससे अंतर और बाहर दोनों प्रफुल्लित रहते हैं। जीवन का हर दिन उमंग एवं आशा का संदेश लिए आता है, प्रकृति उनको मदमाती जान पड़ती है, पवन का हर झोंका सौरभ की सृष्टिï करता है। ऐसे व्यक्तियों से मिल कर आप भी नई स्फुरणा और उत्साह अनुभव करते हैं और जीवन आप को सुंदर, सरस और स्वप्निल लगता है।