समय एक प्रवाह है। समय एक औषध है। बड़े-बड़े घाव समय की गति से भर जाते हैं। समय निरंतर बदलता जाता है। सदा एक-सा नहीं रहता। गति ही जीवन का लक्षण है।
हम न किसी विषम स्थिति से चिंतित हों, न तनिक-सा लाभ होने से फूलकर प्रमाद में लीन हो जाएँ। अच्छी या बुरी जैसी भी हमारी स्थिति हो, हम उसी को सँभालें। विषम से विषम स्थिति भी एक दिन आनंद से आनंदमय स्थिति में बदलेगी।
हम भविष्य को ही सामने रखकर जीवन को धारण करते हैं। आगे आने वाला प्रत्येक दिन हमारे लिए एक दूसरे से बढ़-चढक़र हो। दिन और रात शोकरूपी पाप को दूर करते हैं।
बुद्धिमानो! मन को दु:खी नहीं करना चाहिए। दु:ख एक तीव्र विष है। समय स्वयं आप के दु:खों को दूर कर देगा। आप के कष्टï का समय स्वयं बीत जाएगा। जीवन पर जो काले-काले बादल छाए हुए हैं, वे स्वत: हट जाएँगे। चारों ओर आनंद ही आनंद छा जाएगा। भविष्य उज्ज्वल है।
हे मानव! दीनता को मत अपना। तेरे भीतर जो धैर्य नामक गुण है, उसे धारण कर। स्मरण रखो-दु:ख के बाद सुख आया ही करता है। सुख हो या दु:ख, प्रिय हो या अप्रिय, जब-जब आए, तब-तब अपराजित हृदय से ही उसको भोगो।
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